स्कूल कॉलेजों में तकनीकी शिक्षा का आभाव
स्कूल कॉलेजों में तकनीकी शिक्षा का आभाव
पूर्व स्थिति:-
कोरोनावायरस महामारी के कारण शिक्षा क्षेत्र इस उस गंभीर संकट का सामना कर रहा था। COVID-19 के मामलों की बढ़ती संख्या के कारण शैक्षणिक संस्थान बंद हो गए थे!
- उस समय केवल 34 प्रतिशत शहरी एवं 11 प्रतिशत ग्रामीण व्यक्तियों ने पिछले 30 दिनों में इंटरनेट का उपयोग किया था।
- ये आँकड़े स्पष्ट रूप से इस बात की ओर संकेत कर रहे थे! कि ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के संचालन में स्वभाविक रूप से कम से कम दो तिहाई (2/3rd) बच्चे ऑनलाइन शिक्षा प्रक्रिया के दायरे से बाहर हो जाएंगे।
- हमेशा की तरह इस प्रक्रिया में भी सबसे अधिक प्रभावित हाशिए पर मौजूद, ग्रामीण और गरीब आबादी ही थी।
वर्तमान स्थिति:
भारत में स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल शिक्षा का वर्तमान में एक महत्वपूर्ण चरण में है, जिसमें सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, और डिजिटल उपकरणों का उपयोग शिक्षा को अधिक सुलभ और व्यक्तिगत बनाने में मदद कर रहा है।
भारत में शिक्षा क्षेत्र में डिजिटलीकरण:-
- जब ऑनलाइन शिक्षा की बात आती है तो इसका अर्थ इस बात से होता है कि शिक्षकों के साथ सीधे वीडियो कॉल के माध्यम से संवाद स्थापित किया जाए या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से व्याख्यान दिये जाएं। दोनों कार्यों के लिये एक स्थिर, हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है।
- इंटरनेट की पर्याप्त गति के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा का उद्देश्य विफल हो जाता था।
- निश्चित रूप से, डिजिटलीकरण शिक्षा को अधिक सुलभ और व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है।
- यह शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और छात्रों को नई तकनीकों के उपयोग का कौशल प्रदान करता है।
- डिजिटल शिक्षा अधिक समावेशी और प्रभावी है और यह सभी प्रकार के शिक्षार्थियों के लिए फायदेमंद है।
- यह शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाता है और छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करता है।
- डिजिटल शिक्षा के लाभों को ध्यान में रखते हुए, भारत में शिक्षा क्षेत्र में डिजिटलीकरण को और बढ़ावा दिया जा रहा है।
डिजिटल उपकरण:- ई-सामग्री: स्कूलों में सभी विद्यार्थियों के लिए किसी भी समय, कहीं भी ई-सामग्री और ई-बुनियादी ढांचे तक पूरी पहुँच प्रदान करने पर जोर दिया जाता है,
- डिजिटल कक्षाएँ: डिजिटल बोर्ड, इंटरैक्टिव व्हाइटबोर्ड, और टैबलेट जैसी तकनीकों का उपयोग कक्षा शिक्षण में किया जाता है।
- ई-लर्निंग एप्स: छात्रों को अध्ययन सामग्री, क्विज़ और अन्य संसाधनों तक पहुँच प्रदान करते हैं।
किसी मानक नीति का न होना:-
- डिजिटल शिक्षा का अर्थ यह नहीं है कि शिक्षकों द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखने या व्याख्यान का माध्यम ऑनलाइन वीडियो हो।
- डिजिटल शिक्षा का तात्पर्य Technology, Tools, Interactivity, Duration, अध्ययन सामग्री और उपयुक्त प्लेटफार्मों के माध्यम से कक्षा में शिक्षण को और अधिक संवादात्मक बनाना है।
- ऑनलाइन शिक्षा की दिशा में आ रही इतनी चुनौतियों का मूल कारण यह है कि वर्तमान में हमारे पास Digital education, infrastructure, study material, participation और कई भाषाओं में उपलब्ध एक उचित नीति का अभाव था।
सरकारी और निजी
क्षेत्र के बीच सहयोग:-
किसी मानक नीति का न होना:-
- डिजिटल शिक्षा का अर्थ यह नहीं है कि शिक्षकों द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखने या व्याख्यान का माध्यम ऑनलाइन वीडियो हो।
- डिजिटल शिक्षा का तात्पर्य Technology, Tools, Interactivity, Duration, अध्ययन सामग्री और उपयुक्त प्लेटफार्मों के माध्यम से कक्षा में शिक्षण को और अधिक संवादात्मक बनाना है।
- ऑनलाइन शिक्षा की दिशा में आ रही इतनी चुनौतियों का मूल कारण यह है कि वर्तमान में हमारे पास Digital education, infrastructure, study material, participation और कई भाषाओं में उपलब्ध एक उचित नीति का अभाव था।
- नियोजन: शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- निवेश: निजी क्षेत्र शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल शिक्षा के लिए निवेश कर रहा है, जिससे शिक्षा में सुधार हो रहा है।
सामाजिक सामंजस्य का अभाव:
- सार्वजनिक शिक्षण संस्थान भी सामाजिक समावेश और सापेक्ष समानता में एक अनुकरणीय भूमिका निभाते हैं।
- यह वह स्थान है जहाँ सभी लिंग, वर्ग, जाति और समुदाय के लोग बिना किसी दबाव या विवशता के एक दूसरे के साथ मिलकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।
- यह जीवन की वह महत्त्वपूर्ण सीख है जो ऑनलाइन शिक्षा द्वारा पूरी नहीं हो सकती है।
शिक्षक प्रशिक्षण:-
- स्कूलों में शिक्षक न केवल बच्चों को पुस्तकों से संबंधित ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि वे उनके मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिये भी उत्तरदायी होते थे।
- स्कूलों में बच्चों के भावनात्मक, सामाजिक और व्यवहार संबंधी विकास की देखभाल की जाती है, जो इस सामाजिक दूरी के कारण संभव नहीं हो पा रही थी ।
- साथ ही सबसे बड़ी समस्या यह है कि शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यमों द्वारा बच्चों को शिक्षा देने के लिये पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित नहीं किया गया था।
सरकारी पहल:-
- पीएम श्री योजना: सरकार ने 6,448 स्कूलों को उच्च गुणवत्ता वाली डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए पीएम श्री योजना शुरू की है, जिससे लगभग 20 लाख बच्चों को लाभ होने की उम्मीद है,
- स्वयं (SWAYAM): एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के मुफ्त पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली अध्ययन सामग्री, वीडियो व्याख्यान और इंटरैक्टिव क्विज़ शामिल हैं,
- स्वयं प्रभा: डीटीएच के माध्यम से 32 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक चैनल प्रदान करता है, जो चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं।
- ई-पाठशाला: अध्ययन के लिए ई-सामग्री उपलब्ध कराता है।
- दीक्षा मंच: स्कूली शिक्षा के लिए गुणवत्तापूर्ण ई-सामग्री प्रदान करता है।
- पीएम ई-विद्या: एक व्यापक पहल है जो शिक्षा तक बहुविध पहुंच की सुविधा के लिए डिजिटल/ऑनलाइन/ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करती है!
पालन-पोषण का मुद्दा:-
एक अन्य चुनौती यह है कि लॉकडाउन की समाप्ति के बाद जब अभिभावक अपने कार्यों पर लौट जाएंगे तब हज़ारों बच्चों को स्कूलों से बाहर रखना, चिंता का विषय है। ऐसे में यह समस्या उत्पन्न होगी कि इन बच्चों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी होगी और ये घर पर कैसे सीखेंगे।
भारत नेटवर्क (Bharat Network):-
- राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (National Optical Fibre Network- NOFN) जिसे अब भारत नेटवर्क (Bharat Network) कहा जाता है, का उद्देश्य 40,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत के साथ देश की सभी 2,50,000 पंचायतों को आपस में जोड़ना है।
- BharatNet के माध्यम से सरकार प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम 100 Mbps बैंडविड्थ प्रदान करने की परिकल्पना करती है ताकि ऑनलाइन सेवाओं को ग्रामीण भारत के सभी लोगों तक पहुँचाया जा सके।
- इसमें ई-गवर्नेंस, ई-लर्निंग, ई-बैंकिंग, ई-कॉमर्स और ई-स्वास्थ्य सेवाएँ शामिल हैं।
- इस नेटवर्क को स्थापित करने का कार्य पूरा हो जाने के बाद यह अवसंरचना न केवल एक राष्ट्रीय संपत्ति बन जाएगी तथा बल्कि गैर-भेदभाव पूर्ण पहुँच सेवा वितरण के माध्यम से यह नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास की दिशा में एक गेम चेंजर भी साबित होगी।
राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (National Knowledge Network- NKN):-
- यह एक अखिल भारतीय मल्टी-गीगाबिट नेटवर्क है जो भारत में कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और अनुसंधान को बढ़ावा देता है तथा अगली पीढ़ी के एप्लीकेशन्स और सेवाओं के निर्माण में सहायता देता है।
- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre-NIC) इसे लागू करने वाली प्रमुख एजेंसी है। वर्तमान में इसे डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत ही क्रियान्वित किया जा रहा है।
- परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान में अग्रणी मिशन उन्मुख एजेंसियाँ भी NKN का हिस्सा हैं।
- राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की विचारधारा के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान के प्रसार और निर्माण में लगी संस्थाओं जैसे- अनुसंधान प्रयोगशलाएँ, विश्वविद्यालय, प्रोफेशनल संस्थान और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों की क्षमता का उपयोग करने के लिये एक उच्च गति ब्रॉडबैंड नेटवर्क के माध्यम से इन सभी को कनेक्ट करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का उद्देश्य ज्ञान बाँटने और सहयोगात्मक अनुसंधान की सुविधा के लिये एक उच्च गति डेटा संचार नेटवर्क के साथ उच्च शिक्षा और शोध के सभी संस्थानों को आपस में जोड़ना है।
- NKN का तेज़ी से विस्तार किया जा रहा है, जो एक सकारात्मक कदम है। हालाँकि इसे डिजिटल इंडिया पहल का एक मुख्य घटक बनाने और आर्थिक पिरामिड के सबसे नीचे स्तर पर ई-सेवाएँ प्रदान करने के लिये इसका लाभ उठाने की तत्काल आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
वित्तीय सहायता में वृद्धि करना:-
सरकार को स्कूलों में तकनीकी शिक्षा के लिये बजट में अधिक धन आवंटित करने के बारे में बहुत गंभीरता के साथ सोचना होगा।
अभिभावकों और शिक्षकों का प्रशिक्षण:-
अधिकांश शिक्षक और अभिभावक तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं और उनमें से कई तो ऐसे हैं जिनके पास तकनीक के बारे में बुनियादी ज्ञान का भी अभाव है। ऐसे में यह बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि उन्हें इस विषय में प्रारंभिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए ताकि वे अपने बच्चों को भी शिक्षित कर सकें।
ई-लर्निंग और डिजिटल सामग्री:-
- डिजिटल लर्निंग: छात्रों को अधिक ज्ञान तक पहुँचने और सामग्री को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित करने की अनुमति देता है,
- डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म: छात्रों को उच्च-गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री, विशेषज्ञ-नेतृत्व वाले वीडियो ट्यूटोरियल, डिजिटल कक्षा प्रबंधन और AI-संचालित व्यक्तिगत शिक्षण समाधान तक पहुँच प्रदान करते हैं,
इंटरनेट तक पहुँच में वृद्धि करना:-
- दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों में रचनात्मक एवं तकनीकी पक्ष को शामिल करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिये, विशेष रूप से कम आय वाले समूहों से आने वाले सामान्य एवं निशक्त छात्रों की उपस्थिति के लिये यह बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- सरकार द्वारा शिक्षकों का डिजिटलीकरण करने के साथ-साथ बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के ऐसे प्लेटफॉर्म और अध्ययन सामग्री को निशुल्क उपलब्ध कराने पर बल देना चाहिये।
- उन्हें स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये ताकि वे ऑनलाइन शिक्षा के दौर में मात्र आवश्यक बुनियादी ढाँचे के अभाव के चलते पीछे न रह जाए।
निष्कर्ष:-
- डिजिटल शिक्षा सभी संवर्गों के लिये शिक्षा का एक आनंददायक साधन है। विशेष रूप से बच्चों के सीखने के लिये यह बहुत प्रभावी माध्यम साबित हो रहा है क्योंकि मौलिक ऑडियो-वीडियो सुविधा बच्चे के मस्तिष्क में संज्ञानात्मक तत्त्वों में वृद्धि करती है, बच्चों में जागरूकता, विषय के प्रति रोचकता, उत्साह और मनोरंजन की भावना बनी रहती है। वे सामान्य की अपेक्षा अधिक तेज़ी से सीखते हैं।
- डिजिटल लर्निंग में शामिल INFO-TAINMENT संयोजन इसे हमारे जीवन एवं परिवेश के लिये और अधिक व्यावहारिक एवं स्वीकार्य बनाता है।
- डिजिटल लर्निंग को छात्र एक लचीले विकल्प के रूप में देखते हैं जो उन्हें अपने समय और गति के अनुसार अध्ययन करने की अनुमति देता है। शिक्षकों को भी तकनीकी के सहयोग से अपनी अध्यापन योजना को बेहतर बनाने में सुविधा होती है, साथ ही नवाचार एवं नए विचारों के समावेशन से वे छात्रों को और अधिक प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित भी कर पाते हैं।
- शिक्षण में तकनीकी के प्रवेश से यह एनीमेशन, गैमिफिकेशन और विस्तृत ऑडियो-विज़ुअल प्रभावों के मिश्रण के साथ और अधिक प्रभावी एवं तेज़ी से ग्रहण करने योग्य हो जाता है।
- इसलिये शिक्षण और अधिगम के ऑनलाइन उपाय निश्चित तौर पर प्रशंसा के पात्र हैं, लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब उन्हें उचित माध्यम से स्थापित किया जाए, स्पष्ट रूप से इन उपायों को फेस-टू-फेस शिक्षा की पद्धतियों के पूरक, समर्थन और प्रवर्धन के रूप में स्वीकार्य बनाया जाने पर बल दिया जाना चाहिये। निश्चित रूप से इस संदर्भ में शिक्षक-कक्षा आधारित शिक्षण से डिजिटल-शिक्षा तक के सफर में समय के साथ बहु-आयामी प्रयासों को संलग्नित किये जाने की आवश्यकता है।
Question:- “शिक्षक-कक्षा आधारित शिक्षण से डिजिटल-शिक्षा तक के सफर में समय के साथ बहु-आयामी प्रयासों को संलग्नित किये जाने की आवश्यकता है”। COVID-19 संकट और भारत में शिक्षा क्षेत्र पर इसके प्रभाव के संबंध में टिप्पणी करें।
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